विषैले
जन्तु प्राणों में
बो कर
विष
यहाँ
धृणा करते
अब बासी
तन कहकर
मांगते पहले
‘एच आई वी’ मुक्त
सर्टिफिकेट
बार-बार
टूटने की
दास्ताँ का अंत कहाँ?
स्त्री की परीक्षाएँ
कभी खत्म नहीं होतीं
यह कैसी विडम्बना है?
विषैले
जन्तु प्राणों में
बो कर
विष
यहाँ
धृणा करते
अब बासी
तन कहकर
मांगते पहले
‘एच आई वी’ मुक्त
सर्टिफिकेट
बार-बार
टूटने की
दास्ताँ का अंत कहाँ?
स्त्री की परीक्षाएँ
कभी खत्म नहीं होतीं
यह कैसी विडम्बना है?