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इज़्ज़तपुरम्-51 / डी. एम. मिश्र

विषैले
जन्तु प्राणों में
बो कर
विष
यहाँ
धृणा करते
अब बासी
तन कहकर
मांगते पहले
‘एच आई वी’ मुक्त
सर्टिफिकेट

बार-बार
टूटने की
दास्ताँ का अंत कहाँ?

स्त्री की परीक्षाएँ
कभी खत्म नहीं होतीं
यह कैसी विडम्बना है?