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इज़्ज़तपुरम्-85 / डी. एम. मिश्र

जेठ की नदी
उड़ती रेतों में
डूबा प्रवाह
अपना ढूँढती

कब्रिस्तान के
करीब पहुँच
जिंदगी अपनी लगी