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इज्जत राखबोॅ भारो छै / अमरेन्द्र

इज्जत राखबोॅ भारो छै
जिनगी जेना कुमारी छै
सबसे मुह चुरैलेॅ जाय छी
सबके यहाँ उधारी छै
तोरा बास्तेॅ जिनगी गंगा
हमरोॅ बास्तें गारी छै
बाप कना केॅ छै जीत्तोॅ
जेकरोॅ धिया उधारी छै
हिनको शासन दूध नै होतै
बच्चा लेॅ टिटकारी छै
मारलोॅ जैतै सब्भे देखियौ
जे रं समय शिकारी छै
इच्छा बीस करोड़ीमल रं
हालत यहाँ हजारी छै
ओकरे जंगल लकड़ी होतै
जेकरोॅ हाथ में आरी छै
सच बोलबैया चढ़लै फाँसी
अमरेन्दर रोॅ बारी छै

-5.3.92