Last modified on 16 जनवरी 2022, at 22:47

इतिहास / शशिप्रकाश

तितलियों के अश्मीभूत पँख
बन जाते हैं नश्तर
और आँसू और पारा

एकसमान कठोर
हीरे के एक टुकड़े की तरह

मगर उदासी
सहस्राब्दियों बाद भी
कुहासे की तरह बनी रहती है

और स्मृतियाँ नहीं छोड़ती हैं
दस्तक देते रहने की आदत

और स्वप्नों का
पुनर्जन्म होता रहता है  !