वे — जड़हीन — न थे
मनुष्य थे ।
प्रकृति-पुरुष थे,
समन्वय की सन्धि पर —
तार्किक-तर्क करते रहे ।
अन्धेरों में उजालों की खोज जारी है ।
तर्क का भय,
स्वर्ग की पहचान का अर्थतन्त्र
वस्तु-गुण की नाप-तौल जारी है ।
15 जून 1987
वे — जड़हीन — न थे
मनुष्य थे ।
प्रकृति-पुरुष थे,
समन्वय की सन्धि पर —
तार्किक-तर्क करते रहे ।
अन्धेरों में उजालों की खोज जारी है ।
तर्क का भय,
स्वर्ग की पहचान का अर्थतन्त्र
वस्तु-गुण की नाप-तौल जारी है ।
15 जून 1987