Last modified on 25 मई 2009, at 18:32

इति-हास / चंद्र कुमार जैन

इतिहास में हो जब
हास की इति
तब होता है
वि वास का अथ
कहानी अतीत की
सत्य साधना के
नवनीत की
भर देती है झोली
खिल उठते हैं प्रसून
अंतर्मन के
इसीलिये इतिहास - सूत्र हैं
हितकारी जन-जन के