इनती करै छी भैरवनाथ
मिनती करै छी
हो भैरब कल जोरि करै छी परणाम… हे
हो भैरब…..
खेल धुप देखाबय हो भैरब,
हो भैरव एकबाली…..
भैरव दुआरि छी हो धरमक दुभारि
हो ओ ओ ओ ओ…..
डनिया जोगनीया भैरबनाथ
जाल तोरड लगतै
हो भैरब कल जोरि करै छी परणाम…..
कालरुप खलई छी हो भैरब
नीपै छी दुआरि हे हे…..ए
खेल-धुप करबै हो भैर बनाय डनीया जोगनीया
कल जोटि करै…..हे हे हे हे
कियै तूं लिखलैं बइमनमा रे
कहलो ने जाइये हे
गुण के लीयों ने सम्हारि यौ…..
डानि जकां खेलई छी भैरबनाथ
सुमिरन देलयै दाता रे दीनानाथ के
अहर पल बीतलै हो भैरब
पहर पल बीतलै
दाता दीनानाथ हो…..
हौ भैरबनाथ कल जोरि करै…..
चोर जकां खेलई छी भैरबनाथ
अबला हो सती कमला माय हे
जैरक बात भैरब एकबाली
हो भैरब कल जोरि…..
गलो नहि चलै हो भैरबनाथ डनिया जोगनिया
हो साबर मन्त्र मारिहइ सम्हारि कइ
साबरा मन्त्र जनि हे रे बौआ दाता दीनानाथ
हो भैरब कल जोरि…..