इनमा कनक्वे आण बसंत / वीरेंद्र पंवार

एक समौ बदलेणु छ
 हैकी तरपा सूखा शंख
 इनमा कनक्वे आण बसंत

 डांडा जांदन धार इ धार
 डालियों माँ नी ये मौलियार
 फागुन रैगे पोडुयु निचंत

 लाल बुराश ग्वेर बन्यु
 सर्ग दीदा लमडेर बन्यु
 फल्लू जूदा आणी असद !

 फ्योली को टपराट होयु!
 म्वार्यु को ऐडाड पोडूय़ू
 भौरा पोतला हौर बि चंट

 बादल बिराणा देश जया
 बारामासा रैनि खुदया
 कैको काखी नि आंदो छंद !

 जैकी फिर नि बौडी बहार
  गीतोनो खोजी मन को उड्यार
 कवी गैल्यो का रन्त न मंत

 खौल्येनी रंग होर्यु का
 दिन नी गैनी खौर्यु का
 मोर सिगाड बि ह्वेनी बंद।

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