Last modified on 28 मई 2009, at 10:11

इन दिनों / श्याम किशोर

यह तुम्हारी प्रसाधन की मेज़ है
कभी इस पर शीशियों की लम्बी
कतार रहा करती थी
इन दिनों यह बिल्कुल खाली है ।

इन दिनों
तुम्हारे बेटे के हाथ
पहुँचने लगे हैं
मेज़ की ऊँचाई तक ।