जब तक हम थे तन्हा
थाम रखा था हमने अपने
भीतर का तूफ़ान
अब जब मिल गए हो तुम
तो दर्द के इस दरिया को
बह जाने दो
सागर में मिल जाने दो
कहीं कोई साहिल तो होगा
इसको भी मिल जाएगा
जब तक हम थे तन्हा
थाम रखा था हमने अपने
भीतर का तूफ़ान
अब जब मिल गए हो तुम
तो दर्द के इस दरिया को
बह जाने दो
सागर में मिल जाने दो
कहीं कोई साहिल तो होगा
इसको भी मिल जाएगा