जुलूस और दंगा हैं पहरेदार
शहर में बंद है खिडकी
और दरवाजों के किवाड
भीतर शतरंज की चाल
युद्ध का पूर्वाभ्यास
बाहर भूख से चिल्लाते लोग
जनतंत्र के जीवंत इश्तहार।
जुलूस और दंगा हैं पहरेदार
शहर में बंद है खिडकी
और दरवाजों के किवाड
भीतर शतरंज की चाल
युद्ध का पूर्वाभ्यास
बाहर भूख से चिल्लाते लोग
जनतंत्र के जीवंत इश्तहार।