Last modified on 12 अक्टूबर 2009, at 21:45

इससे पहले कि / सैयद शहरोज़ क़मर

इससे पहले कि धूप में
कपूर सी उड़ जाए यह दुनिया
दर्द और दर्प के अंत भेद को पहचानो
दुःख और संत्रास की जड़ें
शायद यहीं कहीं हैं
इससे पहले कि धूप में
कोई बादल बन जाए
वाष्पीकरण की प्रक्रिया जान लो
बाढ़ को किसी की पहचान
नहीं होती