वह नहीं होगा कभी भी
फाँसी पर झूलता हुआ आदमी
वारदात की ख़बरें पढ़ते हुए
सोचता था वह
गर्दन के पीछे हो रही झुरझुरी को वह
मुल्तवी करता रहता था
तमाम क़बरों के बावजूद
सोचता था
अपने लिए एक
बिल्कुल अलग अंत
इसीलिए जब अंत आया
तो अलग तरह से नहीं आया ।
1989