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इसीलिए / रेखा चमोली

देखो हँस न देना ज्यादा जोर से
चार जनों के बीच में
तुम्हारी हँसी वैसी ही कितनी प्यारी है
देर तक बतियाना ठीक नहीं किसी से भी
चाहे वो कितना ही भला क्यों न लग रहा हो तुम्हें
प्रेम कविताएँ तो भूल से भी ना पढ़ना
लोग मुस्कुराएँगे
एक दूसरे को इशारा करेंगे
मेरा नाम तुम्हारे नाम के साथ जोड़कर
बातें बनाएँगे
कितनी बार कहा है तुम्हें
जिनमें कोर्इ संभावना नहीं उनमें
अपनी ऊर्जा बरबाद मत किया करो
कई महत्वपूर्ण काम अभी करने बाकि हैं तुम्हें
चाहता हूँ सूर्य की तरह चमको तुम
आसमान में
सारे लोग ग्रह नक्षत्रों की तरह
चक्कर लगाएँ तुम्हारे
पर डरता हूँ
तुमसे प्यार भी तो कितना करता हूँ
बचा के रखना चाहता हूँ तुम्हें
इस दुनिया को प्रकाशित करने के लिए।