अपरिचय का आकाश तोड़ें
एक लंबा अतराल जोड़ें
कहाँ बहुत मिलते हैं, फुरसत के दिन
फंसे हैं किताबों में तितली के पिन
पिछले छूटे सवाल कोड़ें
धूप-हवा-बिजली सी लगती बातें
पदमावत की कथा सी जगती रातें
दुखते सारे मिसाल छोड़ें
अंकुर की प्यास लिए हरियाये खेत
कहीं दूर फेंकें ये ओसायी रेत
दिशाएं तरंगों की मोड़ें