इसी नदी के तट पर आकर
हमने तुम से प्यार किया था
तुमने भी कुछ छीट के पानी
प्रणय का इकरार किया था
बैठ के हम-तुम नदी किनारे
इन लहरों में खो जाते थे
चलती थी जब ठंड हवाएँ
हम बांहो में सो जाते थे
जहाँ उछलती थी एक मछली
तुम कहती थी देखो साथी
मैं भी देख के ख़ुश होता था
तुम ऐसे भी थी बतियाती
अगर नहीं जो नदी ये होती
तुमको मुझसे प्यार न होता
हम दोनों दो तट थे जबकि
ये मिलना हर बार न होता
तेरा-मेरा प्यार नदी है
कोयल आकर ये गाती है
कभी नदी से अलग न करना
मछली उस बिन मर जाती है