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इसी पुराने घर को / रुस्तम

अब कुछ नहीं
मेरे पास।

दोस्त, दुश्मन, भाई-बहन,
औरतें और काम-धन्धे,

सब छूट गए हैं पीछे।

मैं साधु
पर लौट-लौट आता हूँ
इसी पुराने घर को।

माँ!
लो, आ गया है
तुम्हारा भुक्खड़ बेटा!

पिता,
फिर काम नहीं आई
तुम्हारी सज़ा —

मैं ख़ाली हाथ लौटा हूँ।

अब कुछ नहीं मेरे पास।