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इसी शहर में / आलोक श्रीवास्तव-२

इसी शहर में
इन्हीं हवाओं में
सांस लेती हो तुम
इसी शहर के भीड़ भरे
जगमग रास्तों से
गुज़रता हूं मैं अकेला
तुम्हें याद करता ।