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इसे न पूजो / कुमार रवींद्र

यह सूरज है गँवई-गाँव का
इसे न पूजो
 
रहा उम्र-भर पगडंडी पर
यह सच्चा है
इसने देखा
नेह्भरा आँगन कच्चा है
 
इसे पता है धूप-छाँव का
इसे न पूजो
 
यह तो है आदी चलने का
पाँव-पियादे
कभी नहीं झूठे होते हैं
इसके वादे
 
यह वासी है देवठाँव का
इसे न पूजो
 
सडक-दर-सडक
महानगर में यह भटका है
ठूंठ नीम से
देखो, यह उलटा लटका है
 
नहीं सूर्य यह बड़े साँव का
इसे न पूजो