यह सूरज है गँवई-गाँव का
इसे न पूजो
रहा उम्र-भर पगडंडी पर
यह सच्चा है
इसने देखा
नेह्भरा आँगन कच्चा है
इसे पता है धूप-छाँव का
इसे न पूजो
यह तो है आदी चलने का
पाँव-पियादे
कभी नहीं झूठे होते हैं
इसके वादे
यह वासी है देवठाँव का
इसे न पूजो
सडक-दर-सडक
महानगर में यह भटका है
ठूंठ नीम से
देखो, यह उलटा लटका है
नहीं सूर्य यह बड़े साँव का
इसे न पूजो