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इस तपती सरहद पर / मनोहर बाथम

इस तपती
सरहद पर भी
चींटियाँ अवश्य होंगी

मुझे नहीं दिखतीं
मैंने कोशिश भी नहीं की
उन्हें ढूँढ़ने की

हाँ,
गश्त करते-करते
चींटियों के पर उगने वाली
ज़ेहन में खटकती है वो कहावत