इंटेंशनली नहीं आती आंधी
नियति से बंधी
बेमन से आकर चली जाती है
इस बीच जरूर कुछ अपने
पहचान जिन्हें बता दी गई होती है
पैरों की धूल।
आंख की किरकिरी बनकर
बैर निकाल लेते हैं
समझा देते हैं औकात बताने का सबक।
इंटेंशनली नहीं आती आंधी
नियति से बंधी
बेमन से आकर चली जाती है
इस बीच जरूर कुछ अपने
पहचान जिन्हें बता दी गई होती है
पैरों की धूल।
आंख की किरकिरी बनकर
बैर निकाल लेते हैं
समझा देते हैं औकात बताने का सबक।