इस बार
कुछ नहीं बदला
वसंत में
न बाबा का सलूखा
न गुड़िया की फ़्राक
न माँ की साड़ी
सिर्फ़ बदली सरकार
बदले राजनेता
ज्यों की त्यों रही पुरानी छप्पर
और सायकिल का पिछला टायर
रुक गई फिर बहन की शादी
पत्ते ही झड़ते रहे हमारे सपनों में
इस बार कुछ नहीं बदला वसंत में ।