सूख कर
जो झरते पत्ते
अपने में सिकुड़ जाते हैं
अपने में सिकुड़ जाना
मृत्यु है क्या
प्रेम क्या जीवन है
इस लिए !
2 अप्रैल 2010
सूख कर
जो झरते पत्ते
अपने में सिकुड़ जाते हैं
अपने में सिकुड़ जाना
मृत्यु है क्या
प्रेम क्या जीवन है
इस लिए !
2 अप्रैल 2010