आँखी तर झलकै अन्हार, ईंजोर कहाँ, मोर ऐंगना
पेटोॅ सें बन्हलोॅ पहाड़, ईंजोर कहाँ मोर ऐंगना
बुतरू रोॅ तुतरू की होय छै, नैं जानै छी
होथैं बिहान कुड़ोॅ-करकट केॅ, छानै छी
अछरंग सें भरलोॅ अहार, ईंजोर कहाँ मोर ऐंगना
आँखी तर झलकै अन्हार, ईंजोर कहाँ मोर ऐंगना
मुट्ठी भर ओॅन लेली, मौत केॅ अगोरै छी
मैया के अँचरा तर, बाबू केॅ ओढ़ै छी
झेलै छी मौसम रोॅ मार, ईंजोर कहाँ मोर ऐंगना
आँखी तर झलकै अन्हार, ईंजोर कहाँ मोर ऐंगना
चेथरी-चेथरी अपनोॅ, सपना के सीयै छी
कटरेंगनी रं बिछलोॅ, काँटोॅ पर जीयै छी
करकुट्ठोॅ लागै संसार, ईंजोर कहाँ मोर ऐंगना
आँखी तर झलकै अन्हार, ईंजोर कहाँ मोर ऐंगना
हम्हरै सिलौटोॅ पर, हुनकोॅ कहानी छै
हुनका नैं मतर, मरू चानों में पानी छै
बिष भरलोॅ हुनको बयार, ईंजोर कहाँ मोर ऐंगना
आँखी तर झलकै अन्हार, ईंजोर कहाँ मोर ऐंगना
बलरी रं आय तलुक, जिनगी केॅ जीलेॅ छी
खपड़ी रं चूल्हा रोॅ, आगिन केॅ पीलेॅ छी
अंग-अंग उगलै अंगार, ईंजोर कहाँ मोर ऐंगना
आँखी तर झलकै अन्हार, ईंजोर कहाँ मोर ऐंगना