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ईश्वर / रोहित आर्य

तू ही सृष्टि बनाने वाला, इसे चलाने वाला है,
तू सबका रखवाला है
धरती से लेकर अम्बर तक, तेरा खेल निराला है,
तू सबका रखवाला है
सूरज, चन्दा और तारों को, तू ही रोशन करता है,
दुनियाँ भर की सब चीजों में, रँग हजारों भरता है।
घना अँधेरा तू कर देता, करता तू ही उजाला है।
तू सबका रखवाला है
बिना हाथ-पैरों के लाखों, कोटि जीव बनाये हैं,
है लेकिन आश्चर्य सभी ने, अलग-अलग गुण पाये हैं,
तेरा हर एक काम सभी को, ही चकराने वाला है।
तू सबका रखवाला है
न शरीर धारण करता है, मरता और न जीता है,
ज़र्रे-ज़र्रे में व्यापक तू, कुछ न तुझसे रीता है।
कर्मों के अनुसार सभी को, तू फ़ल देने वाला है,
तू सबका रखवाला है
न, अवतारों, गुरु-घण्टालों, के स्वरूप में आता है,
योगी और तपस्वी मानव, को केवल मिल पाता है।
"रोहित" सबको पीना केवल, "ओ3म्" नाम का प्याला है।
तू सबका रखवाला है