1988 के इस साल में
हर ईश्वर
ये देख सकता था —
गाँव वालों के शरीर
रिस रहे थे
जलने के बाद
लेकिन हिल नहीं रहे थे
अपने होंठों में दबी बीड़ियाँ
जलाने के लिए
वे झुका रहे थे अपने सिर
उस आग की तरफ़
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
16 मार्च 1988 को इराकी कुर्दों के ख़िलाफ़ एक अभियान में सद्दाम हुसैन की सेना ने हलाब्या में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था, जिसे मानव-इतिहास में सबसे बड़ा क़त्लेआम माना जाता है।