तुमने
आदमी को
विवेक दिया
ठीक किया
उसे दया, प्रेम
श्रद्धा, त्याग का
दान दिया
ठीक किया
लेकिन ;
हे, ईश्वर
तुमने यह क्या किया
कि उसमें दया, प्रेम से भी अधिक
उसमें घृणा, स्वार्थ, द्वेश दिया
जिससे उसका रुप ही
अंगुलीमाल बन गया
अगर तुमने
यह किया ही
तो तुमने
यह क्यों नहीं किया
कि आदमी को
बुद्धदेव बना दिया ?