ई देश के जवानी चल्लोॅ गेलोॅ छै कहाँ
बर्बादी सें वतन केॅ कोय बचावै छै कहाँ
आपनोॅ ही देशोॅ में वीरानोॅ होय गेलै सभ्भे
लोर पोछी केॅ हिरदय सेॅ कोय लगावै छै कहाँ
अब्दुल हमीद, धरती गोविन्दो भी कानै छै
मंदिर केॅ मस्जिदोॅ सें कोय जुड़ावै छै कहाँ
भिड़लोॅ छे कैक लोग यहाँ देश तोड़ै में
माथा सें देश-माँटी कोय लगावै छै कहाँ
आदमी के भीतर के मरी गेलोॅ छै आदमी
आबेॅ आदमी मरै सें कोय बचावै छै कहाँ ?