प्रजातंत्र के ई रखवारा
जात-पात के दै छै नारा
लूटि-कूटि के भोग लगावै
भुखे-भूख करै बटवारा।
बात्है बातें टोटें-टोटा
चीनी सर लै भागै खोटा
चींटी हाथी के सर नाचै
कोइये जीतै, कोइये हारा।
हड्डी-हड्डी छीना-झपटी
प्रजातंत्र लगै छै कपटी
लाठी जेकरऽ जत्त उछलै
मारी-पीटी करै किनारा।
दुखिया दीन भाग्य अजमावै
बलशाली जे चौंक पुरावै
हाथ कटै कहीं मुण्डा बरसै
जशन मनावै नित हत्यारा।
अपने-अपनऽ पेट बढ़ावै
तूं-तूं में के फेट चढ़ावै
उटका-पैंची, उछलै-कूदै
माटी के ई सिरजन हारा॥