Last modified on 22 जून 2009, at 22:05

उखड़ी हुई नींद / गिरधर राठी

सच वह कम न था
नींद उखड़ी जिससे
न ही यह कम है -
उखड़ी हुई नींद
जो अब सपना नहीं बुन सकती

अंधेरे में
या रोशनी जलाकर
जो भी अहसास है
सच वह भी कम नहीं है

पर नींद वह क्या नींद
जो बुन न सके सपने !
कैसी वह भाषा
जो कह न सके -
देखो !