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उगणीस / प्रमोद कुमार शर्मा

सबद दूध पीवै मा रो
-गा रो
जकी बंध्योड़ी है रामजी रै खूंटै
पण कळजुग मांय राम नैं कुण ढूंढै!
सगळा गावड़ी नैं सोधै
भाखा रो पेट खोदै

पण बांनै कांई ठा
राम बिना गा रो मोल कोनी
सबद नैं मांडणो मखौल कोनी
मारग है ओ
-साची चा रो
सबद दूध पीवै गा रो।