उगल सुरुज उठू बौआ भऽ गेलै भोर
माॅझ आँगनमे कौआ बनल मुँह जोर
आँखि काँची भरल सभ पिपनी सटल
मुँह लाले लागय जेना पाकल परोर
झट उठू फट करू अहाँ शौच स्नाोन
बासि भात संग रखने छी गौंचीक झोर
घंटी बाजल गुरुदेव आबि गेलखिन
पहिल कक्षाक नेना करय धनधोर
नै मोनसँ पढ़ब तँ कियो मानत कोना
जौं मुरुखे बौड़ाएब सभ बूझत चोर