उजड़ा हुआ है मेरा चमन, या मिरे ख़ुदा
मुरझाये याद के है सुमन, या मिरे ख़ुदा
जलता है आग में ये बदन, या मिरे ख़ुदा
ओढ़े बिना ही अब तो कफन, या मिरे ख़ुदा
कोई गया जहान से तो आ गया कोई
लेकर नया वो एक बदन, या मिरे ख़ुदा
मंज़ूर वो ख़ुशी से किया जो मिला मुझे
आया है बख़्शने का चलन, या मिरे ख़ुदा
अपने वतन से दूर मेरा रो रहा है दिल
अटका हुआ उसी में है मन, या मिरे ख़ुदा
मिट्टी मिले जो देश की तो प्राण मैं तजूँ
दिल में लगी यही है लगन, या मिरे ख़ुदा
‘देवी’ है दरिया आग का दिल में मिरे रवाँ
महसूस कर रही हूँ जलन, या मिरे ख़ुदा