ज़िन्दगी भर चापलूसी के पत्ते चाटते हैं
अपनी ग़लती पर दूसरों को डाँटते हैं
यह एहसान नहीँ तो और क्या है
अंधेरे मे रहने वाले उजाला बाँटते हैं
ज़िन्दगी भर चापलूसी के पत्ते चाटते हैं
अपनी ग़लती पर दूसरों को डाँटते हैं
यह एहसान नहीँ तो और क्या है
अंधेरे मे रहने वाले उजाला बाँटते हैं