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उजाले के लिए / सूर्यपाल सिंह

अँधेरे से लड़ते हुए
चील और बाज के
झपट्टों से बचते हुए
प्रभात का सपना
देखते हुए लोग
सीना तान कर निकले हैं।

अँधेरा किसी को बरजता नहीं
लड़ना ही पड़ता है
आदमी को उजाले के लिए
निरन्तर लगातार
बारम्बार।