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उजियार हुआ है / ज्योत्स्ना शर्मा


मन का तार, सितार हुआ है ,
गीतों से... गुलज़ार हुआ है ।

गम अपनाये, खुशियाँ बाँटी ,
मत कहिये व्यापार हुआ है ।

माना राहें बहुत कठिन हैं ,
अब चलना दुश्वार हुआ है ।

बहुत अँधेरा दीप जला लें,
देखें फिर उजियार हुआ है ।

सतत दया हो जिस पर तेरी ,
बन्दा भव से पार हुआ है ।

बोलें तो ऐसा,वो बोलें ,
वाणी का शृंगार हुआ है ।

हम हिंदी हैं एक लगन है ,
हमें वतन से प्यार हुआ है ।