क्या टकटकी लगाए हो
असाधारण की तरफ
तोड़ो इसे
उठो चलो मेरे साथ
जो मिलना है
साधारण से मिलेगा
जो खिलना है
धरती से खिलेगा
भूलो साधारण को साधारण समझना
सीखो साधारण को भी
असाधारण ढंग से जीना
देखो हर विशेष आया है
अविशेष से
दुनियाँ की समस्त क्रान्तियाँ जन्मी हैं भूख से