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उठ उठ री नणदल पानी ने चाल / हरियाणवी

उठ उठ री नणदल पानी ने चाल
सरबर दिखादे अपणे बाप का
चाली री नणदल कोस पचास
सरबर न आया तेरे बाप का
वा दीखै री भावज ऊंची नीची पाल
वो दीखै सरबर मेरे बाप का
तुम तै री नणदल घड़ला डबोय
मैं करूं दातण हरियल जाल की
आया री भावज डालिडा का साथ
टूटा तै लस्कर पाणी पीवेगा
घड़ला भावज दिया सै मंधाय
गिरवै छुहारा घड़ला भर दिया
उठ उठ री मायड़ घड़ला रिताय
बोझ मरै तेरी चिड़कली
हम तै हे बेटी उठा ना जाय
जाय उतारो बड़े भाई कै
उठ उठ री भावज घड़ला रिताय
बोझ मरै तेरी नणदली
म्हारी री नणदल दुखै सैं आंख
गोद भतीजा थारा रोवता
उठ उठ री मायड़ घड़ला उतार
न फोडू तेरे बारणै
किसने हे बेटी बोले सै बोल
किस ने मुख कर दीह्नी गाल
काटूं हे बहुड़ तेरी हे जीभा
आख धतूरे मुख मैं भरूं
चूमूं हे बेटी तेरी हे जीभ
गिरी छुहारों तेरा मुख भरूं