थे राजा-म्हाराजा हो
थे तो धार कोनी मारो सबद री
थांरी तो बापड़ो भरै हाजरी
धर लेवै आपरो मनचायो भेख
घड़द्यै अणघड़ भी लेख
थे तो आंगळी ऊपर नचावो सबद नैं
पीवो बीं रो लोही
कितरा तरोताजा हो
थे राजा-म्हाराजा हो।
थे राजा-म्हाराजा हो
थे तो धार कोनी मारो सबद री
थांरी तो बापड़ो भरै हाजरी
धर लेवै आपरो मनचायो भेख
घड़द्यै अणघड़ भी लेख
थे तो आंगळी ऊपर नचावो सबद नैं
पीवो बीं रो लोही
कितरा तरोताजा हो
थे राजा-म्हाराजा हो।