Last modified on 28 जून 2017, at 17:41

उण दिन / मधु आचार्य 'आशावादी'

उण दिन
झूंपड़ी री खिड़की सूं
काळजै उतरी
याद
पग पकड़या,हाथ जोड़या
घणी करी मनवार
पण जद भागी ही बा
काळजै में लगाय लाय
उणनै फेरूं
मन मांय
कियां लेवूं बसाय
बगत बदळग्यो
याद रो रूप ंबदळग्यो
उण टैम री याद
आज दुख बणगी
जूण तो उणरै
बिना ई सरगी।