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क्या तुम नीचे आओगे
कभी आए भी हो नीचे
एक तीख़ी-सी हंसी
कहने को कुछ ज़्यादा न था
इन कई सालों में वह दुबले हो गए
कैसे तुमने उनको एक संकरे पिंजरे में
ढांप दिया ऊपर से
वह आख़िर सिकुड़ने की
कोशिश करें भी तो कैसे।
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क्या तुम नीचे आओगे
कभी आए भी हो नीचे
एक तीख़ी-सी हंसी
कहने को कुछ ज़्यादा न था
इन कई सालों में वह दुबले हो गए
कैसे तुमने उनको एक संकरे पिंजरे में
ढांप दिया ऊपर से
वह आख़िर सिकुड़ने की
कोशिश करें भी तो कैसे।