उड़ जाना चिड़िया के पंखों पर बैठ
तोड़ लाना चांद, तारे
सूरज को उतार कर
अपने शीश पर सजा लेना
उसकी सही जगह आसमान नहीं
उससे भी ऊंचा तुम्हारा मस्तक है
किताबें ले जाएंगी तुम्हें
उस सत्य तक
जिसे पढ़ कर जान सकोगी तुम
सवाल करना और अपनी जगह हासिल करना
अपराध नहीं होता
ज्ञान तर्क करना सिखाता है
और अज्ञान सहमति
विज्ञान के रहस्यों से पर्दा उठाते तुम्हारे हाथ
कुप्रथाओं की जड़ों में तेजाब का काम करेंगे
तुम नेकी कर दरिया में मत डालना
अपने काम का बराबर हिसाब रख
गलत साबित कर देना
उनकी ये धारणा
कि लड़कियाँ गणित में कच्ची होती हैं
जब लोग तुम्हारे चरित्र पर बातें करें
तुम अपनी कामयाबी का परचम
उनकी जीभ के बीचोबीच गाड़ देना
तुम जरूर ढूँढना
वो सपने, वह उम्मीदें
जिन्हें हम स्त्रियाँ
रसोई घर के ताखे पर रखा भूल गईं
तो कभी मिट्टी में घोल कर चूल्हे पर पोत दिया
हमारे अपने घर में हमारा अपना कोई कोना जरूर ढूँढना
कमर पर पड़े नीले धब्बों के नीचे दबी
स्याही से अपना नाम लिखने की चाहत
को जरूर पढ़ना तुम
जरूर पूछना बड़की, छुटकी, मझली बहू
पूरबनी, पछाई, गंगा पारो चाची
रमासरे की दुलहीन, कुलशेखर की माई
से उनका अपना असली नाम
मेरी बच्चियों तुम्हारी माँएँ
उत्तराधिकार में बस यही दे रही हैं तुम्हें
कुछ सवाल
कुछ हिसाब
कुछ स्वप्न
कुछ हिम्मत
ढेरों आशीष!