पतली-दुबली काया मेरी,
लंबी, लाल, लचीली!
बहुत रसीली मैं रहती हूँ,
हरदम रहती गीली!
कैंची-सी चलती हूँ हरपल,
रहती नहीं हठीली!
दूध-मलाई मुझे लुभाए,
चाटूँ चार पतीली!
खुश हो जाएँ लोग सभी,
जब बोलूँ बात चुटीली!
लेकिन बिगड़ी अगर कहीं तो,
बन जाऊँ जहरीली!
कच्ची अगर मिले इमली तो,
होती बहुत पनीली!
दातों के पिंजरे में छुपकर,
रहती हूँ शर्मीली!
प्यारी-प्यारी गुड़िया रानी,
बनो नहीं नखरीली!
झट से इसका उत्तर दे दो,
बोली बोल सुरीली!