महज मिलना नहीं होता है
तलाश होती है
स्वयं की
दूसरों में।
जब कहीं कोई
मिल जाता है
स्वयं जैसा
तो उत्सव बन जाता है
वह क्षण।
महज मिलना नहीं होता है
तलाश होती है
स्वयं की
दूसरों में।
जब कहीं कोई
मिल जाता है
स्वयं जैसा
तो उत्सव बन जाता है
वह क्षण।