जब कभी उकेर लेती हूँ तुम्हे
अपनी नज्मों में!
आसुओं से भीगे
गीले, अधसूखे शब्दों से!!
सूख जायेंगी गर कभी
वे उदास नज़्मे!
सबसे पहले सुनाउंगी
या दिखाउंगी!!
सच में गीली है
अभी तो!
वाकई बहुत भीगी भीगी सी
न जाने कैसे सूखेंगी???
इस गीले मौसम को भी
अभी ही आना था?