तुम्हारे और मेरे बीच की जगह में
एक अदृश्य हिंडोले पर सवार है उद्गविन मन
एक स्वप्न जो बना रहा है सम्भव
दृश्यमान होना तुम्हारा
एक जाग है जो छीन रही है स्वप्न का काजल आँखों से
भीतर बहता हुआ उदासी का संगीत
किन्हीं अदृश्य तरंगों से पहुंचता है तुम तक
किसी जादुगर की छड़ी से
तितली में तब्दील हुआ मन
भर रहा है सुगंध की दिशा में उड़ान