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उधारी पूंजी / कन्हैया लाल सेठिया

कांई हुवै करयां
भेळो बळोतो
जद कोनी थारै कनै
एक चिणगारी ?
फिरबोकर लियां
माथै पर भारेटियो
ओ कोनी निज में
कोई च्यानणो,
ईंयाईं
पढ पढ’र पोथा
रै’ ग्या बै साव थोथा,
जकां कनैं खाली सबदां रो भंडार
हूणै सकै बां री दुकान ऊंची
पण कद करै बरकत
जणै जणै स्यूं उधार लियोड़ी पूंजी !