Last modified on 27 दिसम्बर 2009, at 12:45

उनींदे की लोरी (कविता) / गिरधर राठी

साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जाएँ
चींटियाँ बसा लें घर-बार और सो जाएँ
गुरखे कर जाएँ ख़बरदार और सो जाएँ