मिटा कर शत्रु को जो मिट गए खुद आन की खातिर
इन्हें शत-शत नमन मेरा, उन्हें शत-शत नमन मेरा।
जिन्होंने बर्फ में भी शौर्य की चिंगारियाँ बो दीं
पहाड़ी चोटियों पर भी अभय की क्यारियाँ बो दीं
भगा कर दूर सारे गीदड़ों को, सारे श्रृंगालों को
जिन्होंने सिंह वाली युद्ध में खुद्दारियाँ बो दीं।
अहर्निश जो बढ़े आगे विजय-अभियान की खातिर
उन्हें शत-शत नमन मेरा, उन्हें शत-शत नमन मेरा।
शुरू से आज तक इतिहास ये देता गवाही है
हमारी वीरता मृत्युंजयी है, शौर्य-ब्याही है
अलग से वह न पत्थर है, न लोहा है, न शोला है
सभी का सम्मिलित प्रारूप, भारत का सिपाही है।
लुटाते प्राण तक जो देश के अभिमान की खातिर
उन्हें शत-शत नमन मेरा, उन्हें शत-शत नमन मेरा।
शहीदों की चिताएँ तो वतन की आरती-सी हैं
उठीं लपटें किसी नागिन सदृश फुफकारती सी हैं
चिताओं की बुझी हर राख गंगा-रेणु-सी लगती
निहत्थी अस्थियाँ भी शस्त्र की छवि धारती-सी हैं।
जिन्होंने दे दिया बलिदान हिंदुस्तान की खातिर
उन्हें शत-शत नमन मेरा, उन्हें शत-शत नमन मेरा।