पुष्प झूमते हैं उपवन में
खिलती है डाली डाली
पत्ता पत्ता भीगे ओस से
रंग बिरंगी लगे हर क्यारी
भोरों की गुनगुन का गीत
तितली लेती मन को जीत
घास हरी मिटटी मटमैली
भीनी भीनी सुगंध है फैली
पक्षी करते चीं चीं का शोर
यहाँ नृत्य करते हैं मोर
आओ चलो हम पौध लगाएं
नए नए कई वृक्ष उगायें
पूरी धरती फिर होगी चमन
घर घर महकेगा उपवन